Monday, July 22, 2013

कामरेड धनवंतरि


कामरेड धनवंतरि रियासत जम्मू और कश्मीर के एकमात्र  मात्र ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्होंने देश आजाद करवाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी और काले पानी की सजा पाई। कामरेड धनवंतरि का जन्म सात मार्च १९०२ को जम्मू शहर के काली जन्नी मोहल्ले में कर्नल दुर्गादत्त के घर हुआ था। पढ़ने के लिए वह जब लाहौर गए तो नेशनल कालेज में उनका परिचय शहीद भगत सिंह, सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों के साथ हुआ। उन्होंने कई कामों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। काकोरी ट्रेन कांड,  वायसराय की ट्रेन पर बम फेंकने और सांडर्स मर्डर के में सक्रिय भागीदारी के कारण उनको सजा-ए-मौत सुनाई गई, जिसको बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। उन्हें सन १९३० में गिरफ्तार किया गया और १९३३ में कालापानी भेज दिया गया। वहां पर उन्होंने खुशी राम मेहता और शिव वर्मा के साथ मिल कर लंबी भूख हड़तालें की और यातनाएं सहीं।
सन १९३९ में उनको रिहा किया गया लेकिन पुलिस उनका पीछा करती थी। १९४० में उन्हें दोबारा गिरफ्तार किया गया और १९४६ तक जेल में रखा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी उनके नाम से पंजाब में वारंट जारी होते रहे। जब अंग्रेज भगत सिंह की तलाश कर रहे थे तो धनवंतरि के प्रयासों की वजह से ही वह सकुशल पंजाब से बाहर निकल पाए। यही नहीं, असेंबली में बम फेंकने के बाद धनवंतरि ने ही सत्तर हजार पंफलेट पूरे देश में बंटवाने का प्रबंध ·किया। सिर्फ यही नहीं, १९३१ में भगत सिंह को फांसी दिए जाने के बाद एचआरए का काम उन्होंने ही देखा था। ४५ वर्ष की आयु में धनवंतरि जम्मू आए और रियासत के भूमि सुधारों का खाका उन्होंने ही तैयार किया था। यातनाओं के कारण कमजोर हुए शरीर के बावजूद उन्होंने अपना अभियान जारी रखा। १३ जुलाई १९५३ में उनका निधन हो गया।




कई साल पहले बनी थी मूर्ति
जम्मू में कामरेड धनवंतरि के नाम पर केवल एक लाइब्रेरी है। जम्मू विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का नाम धनवंतरि लाइब्रेरी है। इसके अलावा अन्य कोई निशान इस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर नहीं है। हालांकि कामरेड धनवंतरि की मूर्ति जम्मू के प्रसिद्ध मूर्तिकार रविंद्र जम्वाल ने बनाई है। लगभग एक दशक पहले यह मूर्ति जम्मू विकास प्राधिकरण ने बनवाई थी। तब यह योजना थी की मूर्ति को जम्मू में लगाया जाएगा। लेकिन अभी तक इसका इंतजार है।


{कामरेड धनवंतरि की पुण्यतिथि (१३ जुलाई १९५३) पर विशेष। अपरिहार्य कारणों के चलते समय पर ऐसा नहीं किया जा सका। इसका खेद है।}


Thursday, July 11, 2013

ज्योति चौधरी


जन्म - १३ फरवरी १९९३
जन्म स्थान -  हीरानगर , कठुआ का सीमावर्ती गाँव होड़ 
माँ - शारदा देवी
पिता - जगदीश चौधरी
शिक्षा - कला संकाय में स्नात्तक
देहावसान - ०९ जून २०१३

अपने हाथों से लगाया हुआ पेड़  असमय कट गया है। मेरे लिए यह क्षण अति भावुक है।  मेरे हजारों विधार्थियों में ज्योति एक अलग पहचान रखती थी। अंकों की दौड़ से परे वह जो कुछ अर्जित कर रही थी वह शिक्षा का मुख्य ध्येय होना चाहिए। समाज के प्रति वह  मन ही मन एक संकल्प और दायित्व पाल रही थी। साहित्य में गहरी अभिरुचि यक़ीनन उसे दूर लेकर जाती। उसके आदर्श और प्रेरणादायक जीवन को गर्वभरा सलाम। अगाध दुःख की इस घड़ी में हम ज्योति के परिवार और दोस्तों के साथ हैं।

भावभीनी श्रद्धांजली के साथ प्रस्तुत हैं ज्योति द्वारा लिखित कुछ कविताएँ -

मेरा सपना
 
मेरा सपना अभी अधूरा
जाने कब होगा पूरा
होगा होगा
होगा ज़रूर एक दिन पूरा
मेरा सपना
हालात बदलना
ख्यालात बदलना
बात बदलना
काली काली रात बदलना ...

मैं चाहती हूँ
प्यार विश्वास आस
दुनिया एक ख़ास।


नारी

पहले अँधेरे के वृत्त में
नारी थी लाचार

पर नारी अब क्यों है लचार
कलम अक्षर स्याही पाकर भी
बनती क्यों नहीं होशियार

भाषण बोलते नर नारी समान
फिर नारी का ही क्यों होता अपमान
नारी को सामूहिक पंजे रहे हैं घेर
नोच रहे नर बनकर शेर ...

नारी क्यों है लाचार !


सुन्दरता

सुन्दरता क्या है
सुन्दरता मोह की तस्वीर है
सोने की ज़ंजीर है -
आओ सुन्दर मन को देखें
फूल नहीं खुशबू




पढ़ाई

आज नहीं रही पढ़ाई
बन गई गुरुओं की कमाई
मिशन और विज़न गायब है
टी० ए० डी० ए० पैसा पैसा
कुंजी गाइड और पाठ्यक्रम
बची नहीं थोड़ी भी शर्म ...
कैसे दें हम इनको सम्मान
आड़े आता है स्वाभिमान।



 गुलाब

काँटों में हँसता है
ध्यान से देखना लड़ता है

जितना सुन्दर है नाम
उतना सुन्दर है काम
सबको महक देता है
दिल में लहक देता है
आ जाए मौका अगर
आग देता है
दहक देता है ...

मेरे मन में भी है आस
मैं भी हो जाऊँगी गुलाब
मुझ से भी सब करेंगे प्यार!


 ज़िन्दगी
 
 ज़िन्दगी क्या है
 सोचती हूँ
 खेल है
 जीतता है कौन
 हारता है कौन
 कदम कदम ठाँव ठाँव
 किसने लगा दिया इसमें पैसे का दांव
 पैसे ने कर दी ज़िन्दगी ख़राब
 हर बात में क्यों आ गया हिसाब ...

 ज़िन्दगी है बेरंग
 आओ भरे इसमें रंग!





प्रस्तुति 


 


 कमल जीत चौधरी
 गाँव व डाक - काली बड़ी
 तहसील व जिला - साम्बा { १८४१२१ }
 ई मेल - kamal.j.choudhary@gmail.com
 दूरभाष - 09419274403


(सभी चित्र गूगल की मदद से विभिन्न साइट्स से साभार लिए गए हैं)