Saturday, October 10, 2015

तस्लीमा नसरीन

वह आतंकी नहीं है


अहमद मोहम्मद रातोंरात सेलिब्रिटी बन गया है। पूरी दुनिया से चौदह साल के अहमद को सहानुभूति, समर्थन, अभिनंदन और प्यार मिल रहा है। इसकी वजह निश्चय ही लोगों का अपराध बोध है। अहमद जो नहीं है, उसके बारे में वही सोचा गया। वह आतंकवादी नहीं है, लेकिन उसे आतंकवादी मान लिया गया। इसी कारण यह अपराध बोध है। अहमद ने एक घड़ी बनाई थी, जिसे उसके शिक्षक ने बम समझ लिया। उन्होंने पुलिस बुलाई, पुलिस हथकड़ी लगाकर उस किशोर को ले गई थी। थाने में पूछताछ के बाद अहमद को छोड़ दिया गया, इसके बाद भी लोगों में व्याप्त अपराध बोध कम नहीं हुआ। उदारवादियों का मानना था, ज्यादातर मुसलमान अच्छे होते हैं, इसके बावजूद मुस्लिम समुदाय से लोग डरते हैं, उन पर संदेह करते हैं, उन्हें आतंकवादी मान लेते हैं। इसी कारण उदारवादियों में यह अपराध बोध है। सच यही है कि मुसलमानों में, ईसाइयों में, यहूदियों में, हिंदुओं में गलत लोग कम ही होते हैं। यह सच सबको पता नहीं है। उदारवादियों की शर्म और अपराध बोध का कारण यही है।
कितने-कितने निरपराध लोगों को रोज हथकड़ी लगाई जा रही है, जेलों में बंद किया जा रहा है, उम्रकैद की सजा दी जा रही है। हम इनमें से कितनों को सेलिब्रिटी बनाते हैं? किंतु पुलिस हिरासत में कुछ समय रखने के बाद ही निरपराध अहमद मोहम्मद को हमने सेलिब्रिटी बनाया। अहमद मोहम्मद सेलिब्रिटी क्यों बना? इसलिए कि वह मुस्लिम है। अहमद अगर ईसाई, हिंदू या यहूदी होता, तो दुनिया के अच्छे लोग अमेरिका के वर्णवाद के खिलाफ इतना प्रतिवाद या अहमद का इतना समर्थन नहीं करते।


दुनिया भर के श्वेत लोगों में अधिकतर मुस्लिम-विद्वेषी हैं। लेकिन वे हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख विद्वेषी नहीं हैं। इसकी वजह है। ज्यादा दिन नहीं हुए, जब हमारी आंखों के सामने अमेरिका के ट्विन टावर ध्वस्त हुए थे। अभी बहुत समय नहीं गुजरा, जब बोस्टन मैराथन की भीड़ में दो लड़कों ने प्रेशर कुकर बम फोड़े, जिसमें कुछ लोग मारे गए, कुछ घायल हुए। इस्लामिक स्टेट द्वारा हाल के दिनों में लोगों के कत्ल के रोज विवरण आते हैं। आईएस के आतंकी सैकड़ों लोगों को घुटनों पर झुकाकर, सिर में गोली मारकर उनकी हत्या कर रहे हैं, बच्चियों और किशोरियों का अपहरण कर बलात्कार कर रहे हैं। हम देखते हैं कि बोको हराम इस्लाम के नाम पर किस तरह लोगों की हत्या कर रहा है, औरतों का बलात्कार कर उन्हें बाजार में बेच रहा है, अल शवाब कैसे सामूहिक हत्या की कैसी तजवीजें तलाश रहा है। ये तमाम संगठन इस्लाम के नाम पर बर्बरता, नृशंसता, भयावहता का प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस्राइल की सड़कों पर, बस और रेलगाड़ियों में यहूदियों की हत्या के अभियान में उतरे मुस्लिम अपने शरीर पर बम बांधकर खुद को खत्म कर देने से भी नहीं हिचकते। डेनिस कार्टून के कारण मुस्लिम आतंकवादियों ने देश-देश में आग लगाई है। इस्लाम की आलोचना का बहाना बनाकर मुस्लिम कट्टरवादियों ने बांग्लादेश के ब्लॉगरों की हत्या की है। इन घटनाओं के बारे में सबको पता है। इसी कारण लोग मुस्लिम समुदाय से डरते हैं, उनसे दूरी बनाकर चलते हैं। इसी कारण हवाई अड्डों पर मुस्लिम यात्रियों की जांच-पड़ताल में अतिरिक्त सतर्कता बरती जाती है। संभवतः इसी वजह से किसी मुस्लिम बच्चे के हाथ में घड़ी या उस तरह की कोई चीज देखने पर लोग पुलिस बुला लेते हैं। अमेरिका में स्कूली बच्चे बंदूक लेकर कक्षाओं में आते हैं और वे लोगों की हत्या भी करते हैं। वहां कई बार ऐसी घटनाएं हुई हैं। अगर टेक्सास के उस स्कूल में, जहां से अहमद मोहम्मद की गिरफ्तारी हुई, कोई श्वेत छात्र खिलौना राइफल लेकर घुसता, तो सभी भयभीत होकर सिर्फ इसीलिए पुलिस बुलाते कि उस राइफल की जांच की जाए कि वह असली है या नहीं। यह मैं इसलिए भी कह सकती हूं कि अमेरिका में इस तरह की घटनाएं भी कई बार हुई हैं। लेकिन अहमद मोहम्मद श्वेत नहीं था, इसलिए उसके हाथ में संदिग्ध वस्तु देखते ही शिक्षक ने उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस बुला ली।
अहमद मोहम्मद से बराक ओबामा ने मुलाकात की, अनेक नामी-गिरामी लोगों ने उसका समर्थन किया। अहमद कितना बुद्धिमान है, यह मैं नहीं जानती। वह बड़ा होकर कितना बड़ा वैज्ञानिक होगा, इसका मुझे पता नहीं। मैंने सुना है, घड़ियों के अलग-अलग पार्ट्स खरीदकर उसने उन्हें जोड़ा भर है। पर उसने जो भी किया, जितना भी किया, मैं उसे धन्यवाद देती हूं, क्योंकि उसने बम न बनाकर घड़ी बनाने की कोशिश की। अमेरिका के अनेक मुस्लिम किशोर आईएस से जुड़ चुके हैं, जो इराक और सीरिया में आतंकवादियों के साथ मिलकर लोगों की हत्या कर रहे हैं।

(अमर उजाला से साभार)

(चित्र गूगल की मदद से विभिन्न साइट्स से साभार लिए गए हैं)