Monday, May 2, 2016

लोक मंच द्वारा डॉ० अम्बेडकर और मज़दूर दिवस पर कार्यक्रम : एक रिपोर्ट .


कटती फसलों के गर्म दिन हैं . गर्मी को गर्मी काटती है . इसी के चलते साथियों ने कल दोपहर खूब गर्मजोशी दिखाई . इस बार लोक मंच विजयपुर कस्बे में था . ज्योति पब्लिक स्कूल में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में सम्मानजनक आम उपस्थिति रही . शुरुआत डॉ० बी० आर० अम्बेडकर जी को श्रद्धासुमन अर्पित करके की गई . पनपती डियोडरेंट्स संस्कृति में श्रमिक के श्रम सौन्दर्य को रेखांकित किया गया . 


स्वागत सम्बोधन में दलित विचारक डॉ० कुलदीप डोगरा ने बाबा साहब की जीवनी पर प्रकाश डाला . इसके बाद कामरेड सौदागर गुप्ता ने तर्कों के साथ वर्ण व्यवस्था पर विचार रखे . उन्होंने कहा कि हर आदमी में चारों वर्ण होते हैं . ये सुविधा और ज़रूरत अनुसार प्रकट होते हैं . उन्होंने कहा मनुवादी कहते हैं कि शुद्र पैरों से पैदा हुए हैं . यह हीनता नहीं हो सकती क्योंकि पैरों से चला जाता है . इन्हें छू कर आदर भी प्रकट किया जाता है . सुरेन्द्र शर्मा का सम्बोधन बहुत भावुक था . उन्होंने बताया कि दलित साहित्य पढ़कर वे खूब रोये . उन्होंने तथाकथित उच्च जातियों के उस वर्ग को नीच कहा जिन्होंने दलितों का शोषण किया . उन्होंने कहा कि आज भी मानसिकता नहीं बदली है . इसके लिए सामूहिक कार्य करना होगा .


कमल जीत चौधरी ने समता , प्रेम और भाईचारे को लाने के लिए ईमानदारी का होना आवश्यक बताया . उन्होंने कहा कि किसी भी नायक का राजनीतिकरण करना तो आसान है पर उसका अनुकरण करना बहुत कठिन है . आज नायकों को हमसे छीना जा रहा है या उन पर एकाधिकार बढ़ता जा रहा है . जिन संतों ने मूर्तिपूजा और धार्मिक आडम्बरों पर चोट की , दलितों ने उन्हीं के आज मन्दिर बना दिए हैं . उन्होंने दलितों में पनपते जा रहे नव ब्रह्मणवाद को प्रश्नांकित किया . सत्ता के समकक्ष सत्ता खड़ी करना समस्या का समाधान नहीं है . उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रप्रेम , द्रोह , हिन्दू राष्ट्र जैसे नारे परिदृश्य पर हावी हैं . फासिस्ट ताकतें उभरी हैं . ऐसे में बाबा साहब और भगत सिंह के विचार बहुत प्रासंगिक और उपयोगी हैं . 




स्कूल शिक्षा विभाग से सेवानिवृत प्रधानाचार्य बलवीर चौधरी ने अपने विचार रखते हुए ऐसे आयोजनों को ज़रूरी बताया . उन्होंने कहा कि तथाकथित उच्च जाति के लोगों का दायित्व अधिक है . उन्हें दलितों के उत्थान के लिए अधिक से अधिक काम करना चाहिए . कार्यक्रम की अगली कड़ी में सुन्दर काव्य गोष्ठी हुई . सबसे पहले स्नातक की छात्रा अदिति शर्मा को मंच पर बुलाया गया . उन्होंने मौलिक स्वर में स्त्री संवेदना और विद्रोह की कविताएँ सुनाई .उनका जोरदार स्वागत हुआ . नवोदित डोगरी कवि ब्रह्म दत्त ने खूब समा बांधा . मोहित शर्मा ने अपने भावुक अंदाज़ में खूब मन जीता . 


किसान और मज़दूर की संवेदना लेकर आए अगले कवि कुलदीप किप्पी थे . उन्होंने लोक गीत गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया . लोक कवि बैसाखी राम मौजी ने नशे , पाश्चात्य और आधुनिक जीवन शैली पर तंज किए . डोगरी कवि कुलदीप डोगरा ने दलित संवेदना और अव्यवस्था पर आधारित कविताओं का प्रभावशाली पाठ किया . अगले कवि कमल जीत चौधरी थे . उन्होंने चिरपरिचित अंदाज़ में राजनीतिक कविताओं का पाठ किया . उनके अग्रेशन और व्यंग्य को सराहा गया . लोक मंच के संयोजक और युवा हिन्दी कवि कुमार कृष्ण शर्मा ने अपनी कविताओं से गम्भीर प्रश्न छोड़े . डोगरी के वरिष्ठ कवि तारा चन्द कलंदरी को भी लोगों ने खूब पसन्द किया . 


अंत में साहित्य अकादमी पुरस्कृत डोगरी के प्रसिद्द लेखक , कवि मोहन सिंह ने कार्यक्रम पर अपने विचार रखे . उन्होंने कहा कि राजनीति को समझे बिना कोई भी अच्छा कवि नहीं हो सकता है . कवियों को स्पेशल स्टेटस की अपेक्षा समाज के प्रति अपने दायित्व पर ध्यान देना चाहिए . उन्होंने मांग पर अपनी कविताओं का पाठ किया . जिन्हें बहुत पसन्द किया गया . कार्यक्रम का संचालन कुमार कृष्ण और धन्यवाद ज्ञापन बलवीर चौधरी ने किया . पोस्टर कविता कार्यक्रम का खास आकर्षण रही . कार्यक्रम में रविन्द्र सिंह , रवि कुमार , प्रवीण कुमार , अश्वनी कुमार , राकेश शर्मा , इंजिनियर देवेन्द्र कुमार , विजय कुमार , हरबंस डोगरा , उदय सिंह , नागरमल वर्मा , राजेन्द्र कुमार आदि साथियों ने विशेष रूप से सहयोग दिया