Friday, March 4, 2016

जेल से रिहाई के बाद JNU में दिया कन्हैया का भाषण



  1. इस देश के संविधान में…इस देश के कानून में…और इस देश की न्याय प्रक्रिया में भरोसा है . इस बात का भी भरोसा है कि बदलाव ही सत्य है और बदलेगा . हम बदलाव के पक्ष में खड़े हैं और ये बदलाव होकर रहेगा . पूरा भरोसा है अपने संविधान पर . पूरे तरीके से खड़े होते हैं अपने संविधान की उन तमाम धाराओं को लेकर जो प्रस्तावना में कही गई हैं…समाजवाद…धर्मनिरपेक्षता…समानता…उनके साथ खड़े हुए हैं.
  2. मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं इस देश के बड़े-बड़े महानुभावों को जो संसद में बैठकर बता रहे हैं कि क्या सही हैं क्या गलत है. इसको वो तय करने का दावा कर रहे हैं. उनको धन्यवाद. उनकी पुलिस को धन्यवाद. मीडिया के उन चैनलों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं . हमारे यहां एक कहावत है कि बदनाम हुए तो क्या हुआ. नाम नहीं हुआ. कम से कम जेएनयू को बदनाम करने के लिए ही उन्होंने प्राइम टाइम पर जगह दी. इसके लिए मैं धन्यवाद देना चाहता हूं.
  3. किसी के प्रति कोई नफरत नहीं है . खासकर के ABVP के प्रति तो कोई भी नफरत नहीं है . पूछिए क्यों ? वो इसलिए कि हमारे कैंपस का जो ABVP है वो दरअसल बाहर के ABVP से ज्यादा बेहतर है और मैं कहना चाहता हूं वो सारे लोग जो अपने आप को राजनीतिक विद्वान समझते हैं तो एक बार पिछले अध्यक्ष पद चुनाव में जो हालत हुई है ABVP उम्मीदवार की…उसका वीडियो देख लीजिए साहब और जो सबसे बुद्धिजीवी व्यक्ति है ABVP का . जो जेएनयू का ABVP है उसको जब हमने पानी पानी कर दिया तो बाकी देश में आपका क्या होगा इसका अंदाजा लगा लीजिए….इसीलिए ABVP के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है क्योंकि हम लोग सच में लोकतांत्रिक लोग हैं . हम लोग सचमुच संविधान में भरोसा करते हैं इसीलिए ABVP को दुश्मन की तरह नहीं विपक्ष की तरह देखते हैं और लोकतंत्र में भरोसा करते हैं . ऐ मेरे दोस्त मैं तुम्हारा शिकार नहीं करूंगा क्योंकि शिकार भी उसका किया जाता है जो शिकार करने के लायक हों.
  4. मैं आज भाषण नहीं दूंगा . आज मैं सिर्फ अपना अनुभव आपको बताऊंगा क्योंकि पहले पढ़ता जाता था सिस्टम को झेलता कम था. इस बार पढ़ा कम है…झेला ज्यादा है. इसीलिए जो कहूंगा जेएनयू में लोग ज्यादा रिसर्च करते हैं. प्राइमरी डाटा है भाई साहब. तो पहली बात ये है कि जो प्रक्रिया न्यायालय के अधीन है उसके ऊपर मुझे कुछ नहीं कहना है. सिर्फ एक बात कही है और इस देश की तमाम वो जनता जो सच में संविधान से प्रेम करती है जो बाबा साहब के सपनों को सच करना चाहती है वो इशारों ही इशारों में समझ गई होगी कि हम क्या कह रहे हैं. जो मामला न्यायालय में है उस पर मुझे कुछ नहीं कहना है.
  5. प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट किया है  कहा है सत्यमेव जयते . मैं भी कहता हूं प्रधानमंत्री जी…आपसे भारी वैचारिक मतभेद है लेकिन सत्यमेव जयते चूंकि आपका नहीं इस देश का है…संविधान का है…मैं भी कहता हूं सत्यमेव जयते…और सत्य की जय होगी.
  6. ये मत समझिएगा कि कुछ छात्रों के ऊपर एक राजनीतिक हथियार की तरह देशद्रोह का इस्तेमाल किया गया है . इसको ऐसे समझिएगा कि…मैंने ये बात अकसर बोली है अपने भाषणों में हम लोग गांव से आते है. मेरे परिवार से भी शायद आप लोग मुखातिब हो चुके हैं तो हमारे हर रेलवे स्टेशन पर जिसको टेशन कहा जाता है वहां पर जादू का खेल होता है . जादूगर दिखाएगा जादू….बेचेगा अंगूठी . मनपसंद अंगूठी और जिसकी जो इच्छा है वो अंगूठी पूरा कर देगी ऐसा जादूगर कहता है. इस देश के भी कुछ नीति निर्माता हैं वो कहते हैं काला धन आएगा . हर हर मोदी . महंगाई कम होगी . बहुत हो गई मत सहिए . अबकी बार ले आइए . सबका साथ सबका विकास . वो सारे जुमले आज लोगों के जेहन में हैं . हालांकि हम भारतीय लोग भूलते जल्दी हैं लेकिन इस बार का तमाशा इतना बड़ा है कि भूल नहीं पा रहे हैं तो कोशिश ये है कि उन जुमलों को भुला दिया जाए और ये जुमलेबाज कर रहे हैं और इसको कैसे भुलाया जाए तो ऐसा करो…इस देश के तमाम जो रिसर्च फैलो हैं उनका फैलोशिप बंद कर दो . लोग क्या करने लगेंगे ? कहेंगे फैलोशिप दे दीजिए . फैलोशिप दे दीजिए . फिर करेंगे कि अच्छा ठीक है जो 5 हजार और 8 हजार देता था वही जारी रहेगा . मतलब बढ़ाने का मामला गया . बोलेगा कौन ? जेएनयू….तो जब आपको गालियां पड़ रही हैं चिंता मत कीजिएगा . जो कमाए हैं वही खा रहे हैं आप लोग . इस देश में जो जनविरोधी सरकार है उस जनविरोधी सरकार के खिलाफ बोलेंगे तो उनका सायबर सेल क्या करेगा ? वो छेड़छाड़ वाला वीडियो भेजेगा . वो आपको गालियां भेजेगा और वो गिनेगा कि आपके डस्टबिन में कितने कंडोम हैं ? लेकिन ये बहुत गंभीर समय है इसीलिए इस गंभीर समय में हम लोगों को गंभीरता से कुछ सोचने की जरूरत है.
  7. जेएनयू पर हमला एक नियोजित हमला है इस बात को आप समझिए और ये नियोजित हमला इसलिए है कि आप यूजीसी से जुड़े आंदोलन को दबाना चाहते हैं  ये नियोजित हमला इसलिए है कि आप रोहित वेमुला के इंसाफ के लिए जो लड़ाई लड़ी जा रही है उस लड़ाई को आप खत्म करना चाहते हैं . आप जेएनयू का मुद्दा इसलिए प्राइम टाइम पर चला रहे हैं माननीय एक्स आरएसएस…क्योंकि आप इस देश के लोगों को भुला देना चाहते हैं कि मौजूदा प्रधानमंत्री ने 15 लाख रुपये उनके खाते में आने की बात कही थी लेकिन एक बात मैं आपको कह देना चाहता हूं जेएनयू में एडमिशन पाना आसान नहीं है . तो जेएनयू के लोगों को भुला देना भी आसान नहीं है. आप अगर चाहते हैं कि हम भुला देंगे तो हम आपको बार-बार याद करा देना चाहते हैं कि इस देश की सत्ता ने जब जब अत्याचार किया है….जेएनयू से बुलंद आवाज आई है और हम उसी को दोहरा रहे हैं और हम बार बार ये याद करा रहे हैं कि तुम हमारी लड़ाई को खत्म नहीं कर सकते.
  8. क्या कह रहे हैं ? एक तरफ देश की सीमाओं पर नौजवान मर रहे हैं . मैं सलाम करना चाहता हूं उनको जो लोग सीमा पर मर रहे हैं . मेरा एक सवाल है . जेल में मैंने एक बात सीखी है कि जब लड़ाई विचारधारा की हो तो व्यक्ति को बिना मतलब की पब्लिसिटी देना चाहिए इसलिए मैं उस नेता का नाम नहीं लूंगा . बीजेपी के एक नेता ने लोकसभा में कहा कि नौजवान सीमा पर मर रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि वो आपका भाई है? या फिर इस देश के अंदर जो करोड़ों किसान आत्महत्या कर रहे हैं. जो रोटी उगाते हैं हमारे लिए और उन नौजवानों के लिए. जो उस नौजवान के पिता भी हैं उसके बारे में तुम क्या कहना चाहते हो? वो इस देश के शहीद हैं कि नहीं? ये सवाल हम पूछना चाहते हैं कि जो किसान खेत में काम करता है . मेरा बाप…मेरा ही भाई फौज में भी जाता है और वही मरता है और तुम ये वानरीपना करके देश के अंदर एक झूठी बहस मत खड़ी करो . जो देश के लिए मरता है वो देश के अंदर भी मरते हैं . देश की सीमा पर भी मरते हैं . हमारा सवाल है कि तुम संसद में खड़े होकर किसके खिलाफ राजनीति कर रहे हो ? वो जो मर रहे हैं उनकी जिम्मेवारी कौन लेगा . लड़ने वाले लोग जिम्मेवार नहीं हैं…लड़ाने वाले लोग जिम्मेवार हैं . और एक कविता की पंक्ति मुझे याद आ रही है…शांति नहीं तब तक…जब तक सुखभाग ना सबका सम होगा…नर का सम है लेकिन मैंने सबका कर दिया है… शांति नहीं तब तक…जब तक…सुखभाग ना सबका सम होगा…नहीं किसी को बहुत अधिक और नहीं किसी को कम होगा…इसीलिए युद्ध के लिए जिम्मेवार कौन है? कौन लड़ाता है लोगों को? कैसे मर रहे हैं मेरे पिताजी और कैसे मर रहा है मेरा भाई ? हम पूछना चाहते हैं वही प्रदर्शन…वही कंटेट उसी डिजाइन के साथ
  9. देश के अंदर जो समस्या है…क्या उस समस्या से आजादी मांगना गलत है ? ये क्या कहते हैं किससे आजादी मांग रहे हो ? तुम्हीं बता दो कि क्या भारत ने किसी को गुलाम कर रखा है ? नहीं…तो सही में भारत से नहीं मांग रहे हैं . भारत से नहीं मेरे भाईयों…भारत में आजादी मांग रहे हैं और से और में….में फर्क होता है. अंग्रेजों से आजादी नहीं मांग रहे हैं . वो आजादी इस देश के लोगों ने लड़कर ली है .
  10. विज्ञान में कहा गया है कि आप जितना दबाओगे उतना ज्यादा प्रेशर होगा . लेकिन इनको विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है…क्योंकि विज्ञान पढ़ना एक बात है…वैज्ञानिक होना बहुत दूर की बात है . तो वो लोग जो वैज्ञानिक सोच इस देश में रखते हैं अगर उनके साथ संवाद स्थापित किया जाए तो इस मुल्क के अंदर जो आजादी हम मांग रहे हैं भुखमरी और गरीबी से…शोषण और अत्याचार से…दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए….वो आजादी हम लेकर रहेंगे…और वो आजादी इसी संविधान के द्वारा इसी संसद के द्वारा और इसी न्यायिक प्रकिया के द्वारा हम सुनिश्चित करेंगे . इसी मुल्क में ये हमारा सपना है . यही बाबा साहब का सपना था . यही साथी रोहित का सपना है . देखो…एक रोहित को मारा है . उसी प्रकिया में जिस आंदोलन को दबाना चाहा था वो कितना बड़ा बनकर उभरा है . कितना बड़ा इस मुल्क में खड़ा हुआ है…इस बात को देखिए .
  11. मुझे जेल में दो कटोरे मिले . एक का रंग नीला था और दूसरे का रंग लाल था . मैं उस कटोरे को देखकर बार-बार ये सोच रहा था कि मुझे किस्मत पर तो कोई भरोसा नहीं है . भगवान को भी नहीं जानते हैं…लेकिन अच्छा कुछ इस देश में होने वाला है कि एक साथ लाल और नीला कटोरा है एक प्लेट में…और वो प्लेट मुझे भारत की तरह दिख रही थी . वो नीला कटोरा मुझे आंबेडकर मूवमेंट लग रहा था और वो लाल कटोरा मुझे लेफ्ट मूवमेंट लग रहा था. मुझे लगा कि इसकी एकता अगर इस देश में बना दी गई . सच कहते हैं…अब नो मोर देखते हैं…बेचने वाले को भेजते हैं . बेचने वाला नहीं चाहिए . सबके लिए जो न्याय सुनिश्चित कर सके हम उसकी सरकार बनाएंगे . सबका साथ सबका विकास… हम सचमुच का स्थापित करेंगे… ये हमारी लड़ाई है .
  12. आज माननीय प्रधानमंत्री जी का…आदरणीय…बोलना पड़ेगा ना ? क्या पता किसको छेड़छाड़ करके फिर से फंसा दिया जाए . तो माननीय प्रधानमंत्री जी कह रहे थे…स्टॉलिन और ख्रुश्र्चेव की बात कर रहे थे . मेरी इच्छा हुई कि मैं टीवी में घुस जाऊं और उनका सूट पकड़कर कहूं मोदीजी थोड़ी हिटलर की भी बात कर लीजिए . छोड़ दीजिए हिटलर की…मुसोलिनी की बात कर दीजिए जिसकी काली टोपी लगाते हैं . जिससे आपके गुरु जी गोलवलकर साहब मिलने गए थे और भारतीयता की परिभाषा जर्मन से सीखने का उपदेश दिया था .
  13. तो हिटलर की बात…ख्रुश्र्चेव की बात…प्रधानमंत्री जी की बात . उसी वक्त योजना की बात हो रही थी . मन की बात करते हैं…सुनते नहीं हैं . ये बहुत ही व्यक्तिगत चीज है . मेरी मां से आज लगभग तीन महीने के बाद बात हुई है . मैं जब भी जेएनयू में रहता था मैं घर बात नहीं करता था . जेल जाकर एहसास हुआ कि बराबर बात करनी चाहिए . आप लोग भी करते रहिएगा अपने घरवालों से बातचीत . तो मैंने अपनी मां को कहा कि तुमने मोदी पर बड़ी अच्छी चुटकी ली तो मेरी मां बोली कि नहीं वो मैंने चुटकी नहीं ली . चुटकी तो वो लोग लेते हैं . हंसना हंसाना उनका काम है . हम तो अपना दर्द बोलते हैं . जिनको समझ में आती है तो रोते हैं…जिनको समझ में नहीं आती वो हंसते हैं . उसने कहा कि मेरा दर्द है इसलिए मैंने कहा था कि मोदी जी भी किसी मां के बेटे हैं . मेरे बेटे को देशद्रोह के आरोप में फंसा दिया है तो कभी मन की बात करते हैं…कभी मां की भी बात कर लें .
  14. ये बात मैंने आज तक आप लोगों को नहीं कही होगी और आप लोगों को मालूम भी नहीं चली होगी कि मेरा परिवार 3 हजार रुपये में चलता है . क्या मैं पीएचडी कर सकता हूं किसी बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में ? और इस तरीके से जेएनयू पर जब हमला किया जा रहा है और जो लोग इसके पक्ष में खड़े हो गए हैं . मुझे कोई सहानुभूति नहीं है किसी राजनीतिक पार्टी से क्योंकि मेरी अपनी एक विचारधारा है . लेकिन जो लोग खड़े हो गए हैं उनको भी देशद्रोही कहा जा रहा है . सीताराम येचुरी को भी मेरे साथ देशद्रोह के केस में डाल दिया . राहुल गांधी को मेरे साथ देशद्रोह के केस में डाल दिया . डी राजा को देशद्रोह के केस में डाल दिया . केजरीवाल को डाल दिया . और जो मीडिया के लोग जेएनयू के पक्ष में बोल रहे हैं दरअसल वो जेएनयू के पक्ष में नहीं बोल रहे…वो सही को सही और गलत को गलत बोल रहे हैं . जो सच को सच और झूठ को झूठ बोल रहे हैं उनको गालियां भेजी जा रही हैं . उनको जान से मारने की धमकी दी जा रही है . ये कैसी स्वयंभू राष्ट्रभक्ति है साहब ?
  15.  कुछ लोग तीन चार कॉन्सटेबल ने मुझसे जेल में पूछा कि सच में नारे लगाए हो? हम बोले सच में नारे लगाए हैं. फिर जाकर लगाओगे? बोले एकदम लगाएंगे. हम बोले फर्क कर पाते हैं कि क्या सही है? भाई साहब दो साल सरकार को आए हुआ है तीन साल और झेलना है. इतनी जल्दी देश अपनी पहचान को खो नहीं सकता है. क्योंकि इस देश के 69 फीसदी लोगों ने उस मानसिकता के खिलाफ वोट दिया है इस बात को लोकतंत्र में याद रखिए. केवल 31 फीसदी लोग और उसमें से भी कुछ आपकी जुमलेबाजी में फंस गए. कुछ को तो आपने हर हर कहकर ठग लिया आजकल अरहर से परेशान हैं. इसे आप अपनी हमेशा के लिए जीत मत समझिए.
  16. इनका ध्यानाकर्षण प्रस्ताव जिसे ये लोकसभा में लाते हैं. बाहर में लोकसभा के बाहर देश में ध्यान भटकाओ प्रस्ताव इनका चलता है. जनता के जो वाजिब सवाल हैं उनसे लोगों को भटका दिया जाए. लोगों को फंसा दिया जाए. किसमें…नया नया एजेंडा है इधर यूजीसी का आंदोलन चल रहा था साथी रोहित की हत्या हो गई. साथी रोहित के लिए आवाज उठाई…देखते ही देखते देखिए देश का सबसे बड़ा देशद्रोह…राष्ट्रद्रोहियों का अड्डा…ये चला दिया. ज्यादा दिन चलेगा नहीं. तो इनकी अगली तैयारी है…राम मंदिर बनाएंगे. आज की बात बताता हूं आज एक सिपाही से बात हुई है निकलने से पहले. कहा धर्म मानते हो? हमने कहा धर्म जानते ही नहीं हैं. पहले जान लें फिर मानेंगे. बोला कि किसी परिवार में तो पैदा हुए होंगे ? हमने कहा इत्तेफाक से हिंदू परिवार में पैदा हुए हैं. तो कहा कि है कुछ जानकारी? हमने कहा जितनी मेरी जानकारी है उसके हिसाब से…भगवान ने ब्रह्माण को रचा है और कण कण में भगवान है. आप क्या कहते हैं? उसने कहा बिल्कुल सही बात है. हमने कहा कि कुछ लोग भगवान के लिए कुछ रचना चाहते हैं इस पर आपकी क्या राय है? कहा महाबुड़बक आइडिया है. काठ की हांडी कितनी बार चढ़ाओगे भाई? 80 से एक बार 180 बना ली थी. बेड़ा पार लगा लिया था…मुख में राम बगल में छुरी. अबकी बार नहीं चलेगा. अबकी कुछ धूरी बदल गई है, लेकिन इनकी कोशिश है कि चीजों को भटकाया जाए. ताकि इस देश के अंदर जो वाजिब सवाल हैं उस पर विमर्श ना खड़ा हो.
  17. आज आप यहां खड़े हैं. आप यहां बैठे हुए हैं. आपको लगता है कि आपके ऊपर एक हमला हुआ है. सचमुच ये बड़ा हमला है लेकिन ये हमला मेरे दोस्त आज नहीं हुआ है. मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में बाकायदा एक कवर स्टोरी जेएनयू के ऊपर की गई थी. स्वामी जी का बयान आया था जेएनयू को लेकर…और मुझे लोकतंत्र में पूरा भरोसा है. अगर एबीवीपी के मेरे दोस्त सुन रहे हैं तो मेरा सादर अनुरोध हैं उनसे एक बार स्वामीजी को ले आइये. आमने-सामने विमर्श कर लेते हैं…मगर तार्किक तरीके से कुतर्क से नहीं. अगर तार्किक तरीके से वो साबित कर देंगे कि जेएनयू को चार महीने के लिए बंद कर देना चाहिए तो मैं उनकी बात पर सहमत हो जाउंगा. अगर नहीं तो मैं उनसे आग्रह करूंगा जैसे पहले देश से बाहर थे फिर से चले जाइये देश का कल्याण हो जाएगा.
  18. इस तरीके से हमला किया जाता है . मजेदार बात मैं आपको बताऊं…शायद आप लोग कैंपस के अंदर थे तो उन चीजों को देख नहीं पाए . कितनी प्लानिंग थी…पूरा प्लान . पहले दिन से प्लान था . इतना भी दिमाग नहीं लगाते हैं मेरे दोस्त…यहां के ABVP वालों का दोष नहीं है वो बाहर का ABVP है कि पोस्टर तक नहीं बदलता है . जो प्रदर्शन जिस हैंड बिल के साथ…जिस तख्ती के साथ…हिंदू क्रांति सेना करती है . वही प्रदर्शन उसी तख्ती के साथ ABVP करता है . वही प्रदर्शन…वही कंटेट उसी डिजाइन के साथ कोट एंड कोट एक्स आर्मी मैन मार्च करते हैं . इसका मतलब है कि सबका कार्यक्रम नागपुर में तय हो रहा है.
  19.  दो स्तर पर ये लड़ाई रहेगी . पहली जो जेएनयू छात्र संघ का अपना एजेंडा है हम उसको लेकर आगे बढ़ेंगे और दूसरा जो देशद्रोह का आरोप लगाया गया है उस आरोप के खिलाफ हम संघर्ष को तेज करेंगे और इस बात को झंडेवालान या नागपुर में नहीं तय करेंगे…विद्रोही भवन में तय करेंगे . अपने जेएनयू छात्र संघ के दफ्तर में तय करेंगे . अपने संविधान से तय करेंगे जो हमको लड़ने का अधिकार देता है . अपनी संविधान सम्मत लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे और तमाम टीचर…तमाम वो लोग हमारे साथी…जिनके ऊपर देशद्रोह का आरोप लगा है और जो लोग जेल में हैं उमर और अनिर्बान उनकी रिहाई के लिए संघर्ष करेंगे.
  20.  अदालत तय करेगी कि क्या देशद्रोह है और क्या देशभक्ति है ? ये मैडम स्मृति ईरानी नहीं तय करेंगी कि क्योंकि हम उनके बच्चे नहीं हैं. वो माय चाइल्ड….माय चाइल्ड…ये कहकर के बड़ा सॉफ्टली हम लोगों को निशाना बना रही हैं . एक बात मैं कह देता हूं और मेरी जो महिला साथी हैं वो अन्यथा ना लें…मैंने पहली बार स्मृति ईरानी जी के अभिनय कौशल को देखा. संसद में क्या परफॉर्मेंस था. फिर थोड़ी देर के लिए भूल गया कि मैं क्या देख रहा हूं. ये लोकसभा चैनल है. लोकसभा टीवी है या स्टार प्लस है? आदरणीय…परम आदरणीय…परम परम आदरणीय मैडम स्मृति ईरानी जी…हम आपके बच्चे नहीं हैं. हम जेएनयू वाले हैं और हम छात्र हैं. आप गंभीरता से हमारे बारे में सोचिए जो आप नहीं सोचती हैं . तो ये देशद्रोह का तमाशा बंद कीजिए. हमारी फैलोशिप हमको दे दीजिए और रोहित की हत्या जो हुई है उसकी नैतिक जिम्मेवारी ले ली लीजिए क्योंकि वो नैतिकता की बहुत बात करती हैं. नैतिकता की बहुत बात करते हैं तो नैतिक जिम्मेवारी लेकर के जो आपको उचित लगे…आपसे इस्तीफा भी नहीं मांगते हैं…वो आप कर दीजिए . नारेबाजी हम फिर भी करेंगे क्योंकि हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है.


(साभार : एबीपी न्यूज)