जन्म - 1971, तिरुवल्ला (केरल)
शिक्षा - 'केदारनाथ सिंह और के सच्चिदानंदन की कविताओं में मानववाद - एक तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर पीएचडी।
प्रकाशन - कवि और चर्चित बहुभाषी
अनुवादक, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियिमत रूप से कविताएं प्रकाशित। कविताओं का अंग्रेजी, हिंदी, तेलगु और उड़िया भाषाओं में
अनुवाद। लगभग दो दशकों से मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी साहित्य का परस्पर अनुवाद। अनुवाद
की दस किताबें प्रकाशित।
(देश के युवा कवियों में अलग
स्थान रखने वाले संतोष अलेक्स की कविताएं पहली बार पोस्ट कर रहा हूं। उम्मीद
है कि ऐसा सहयोग भविष्य में भी मिलता रहेगा।)
कविता मेरे लिए
मेरे मां-बाप
कविता नहीं लिखते
न ही भाई बहन
मेरे दादाजी स्कूल के हेडमास्टर
थे
उनके निजी पुस्तकालय में
काफी पुस्तकें हैं
स्कूल की छुट्टियों में
अक्सर दादा के पास हो आता
नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल
धूमिल, केदारनाथ सिंह, विनोद
कुमार
विष्णु खरे से परिचय हुआ
वहीं पर
गर्मियों की छुट्टियों में
लिखी पहली कविता
प्रकाशित हुई स्कूल की मैग्जीन
में
कालेज के दिनों में लिखी कविता
सुरक्षित है डायरी में
पाणिग्रहण के बाद
मेरी कविताओं का पहला पाठक
अकसर पत्नी होती
कभी हां कहती
कभी सुधारने का करती आग्रह
कविता मेरे लिए
गहनों, जरीदार साड़ी में सजी
शहरी वधू नहीं
मेरे लिए कविता
ग्रामीण वधू है
निष्कलंक
सौम्य एवं सुंदर।
मां
मां के बारे में
कितना भी लिखा जाए
कागज कम पड़ जाता है
इतना जानता हूं कि
परिवार के सारे दुखों को
समेटने पर
बनती है
मां।
संपत्ति
शाम हो चुकी थी
दिन की गर्मी अभी भी
महसूस हो रही थी
थैली लेकर किराना खरीदकर लौटा
दुकान पर दो एक लोग थे
जरूरी चीजें खरीद कर लौटा
सड़क वीरान थी
अभी पूरी तरह से रात नहीं
हुई
चलते चलते
आगे सड़क के मोड़ पर पहुंचा
अचानक तीन चार मुखौटेधारियों
ने घेर लिया
डर के मारे चीखा
लेकिन आवाज नहीं निकली
उन्होंने मेरा बटुआ मांगा
जेब से निकाल कर दिखाया
खाली था बटुआ
खाली थी जेब
उनमें से एक ने
घर पर डाका डालकर
संपत्ति लूटने की धमकी दी
मैंने कहा माता-पिता, दादा-दादी
अपाहिज भाई, विधवा बहन
किराए का मकान
सरकारी स्कूल में चपरासी की
नौकरी
इससे पहले कि मैं
सूची पूरी करूं
वे भाग निकले।
संपर्क -
डा. संतोष अलेक्स
टेक्निकल आफिसर
सीआईएफटी, पांडुरंगापुरम
आंध्र यूनिवर्सिटी
विशाखापट्टनम - 530003
मोबाइल - 094410-19410
(सभी चित्र गूगल की मदद से
विभिन्न साइट्स से साभार लिए गए हैं)