Saturday, March 22, 2014

नरेश कुमार खजुरिया





जन्म : कठुआ के कटली गाँव में 10 जनवरी 1991 को
माँ : सुश्री राजकुमारी
पिता : बंसीलाल शर्मा
शिक्षा : जम्मू वि० वि० से हिन्दी विषय में परास्नातक
लेखन : 2008 में कविताओं से शुरुआत
अन्य : लोक मंच जम्मू से जुड़े हैं

हिन्दी कविता पर शोध कर रहे  नरेश शर्मा की कुछ नयी कविताएँ मिली। अच्छा लगा पढ़कर। यहाँ विचार नहीं आत्मीय भाव सुखद हैं . इसका ध्यान कवि को विशेष तौर पर रखना होगा। बिना किसी पृथक मुहावरे के भी इस बात की आश्वस्ति है कि अभाव , सच और प्रेम को जीता कवि प्रतिबद्ध दिखाई देता है। यह प्रतिबद्धता बनी रहे। इसी कामना के साथ प्रस्तुत हैं इनकी कविताएँ




यह फूल किसके लिए है

मैं अक्सर  जिसे
तोड़ लेता था
तुम्हारे लिए
आज मैंने फिर
तोड़ लिया है वह लाल फूल
आओ तुम
वैसे ही  पूरे  हक़ से
जैसे पहले आती थी
छीन लेती थी
भरी महफ़िल में
मेरे हाथों का फूल

वैसे ही पूछो
मेरी किताब के हाशिये पर लिखकर
यह फूल किसके लिए है ...



सचमैंने जब भी बोलना चाहा सच
तुमने मेरे होठों पर उंगली धर  दी
पर तुमने ही सिखाया है झूठ बोलना बुरी बात है ...

सच मेरा स्वभाव बन गया है
ऐसा सच
जो प्लेटो द्वारा कविता में तीसरी जगह बताया गया
मैं उसी जगह  से बोल रहा हूँ सच
तुम मुझे  रोक नहीं सकते
कैसे रोकोगे
तुम्हारी अपनी सचाई
जा दुबकी है
कई परतों में
तुम भावशून्य
मुखौटे पहनकर बड़े मंच से बोल रहे हो -

तुम  नेता
अभिनेता
धर्मनेता हो
अमन चमन स्वर्ग की बातें करते हो
पर आईने से डरते हो
इसलिए मुझे बार बार
सकुरात  चेताते हो !



माँ के लिए

मेरी झोपड़ी में लट्टू नहीं
जलती थी ढिबरी
हवाओं से डरती ...

खाना परोसते - परोसते
माँ कितनी ही बार ढिबरी को हाथों से ढक
बुझने से बचाती थी
डगमगाती रोशनी में
माँ  मुझे  'क' से कबूतर
'ख' से खरगोश पढ़ाती थी

झोपड़ी आज मकान हो गई है
रंग बिरंगे बल्ब टयूब लाइट्स हैं
ढिबरी न जाने मकान की नीव या दीवार की
किस ईंट के नीचे दब चुकी है
जिसकी रोशनी में मैंने सीखा
'क' से कबूतर
और लिख रहा हूँ 'क' से कविता
मुझे कविता लिखता देख
माँ खुश है
झुर्रियों भरे चेहरे पर कुलांचे भरती हँसी को देख
मेरा कवि हृदय मुग्ध है
मैं सौभाग्यशाली हूँ
अभी सलामत हैं
मुझे रोशनी देने की खातिर
हवाओं से संघर्ष करते हाथ !
  

पड़ोसी के लिए

उसके चूल्हे आग जली
मेरे कलेजे ठण्डक पड़ी ...


सम्पर्क :-
नरेश कुमार खजुरिया
गाँव व डाक - कटली
तह० - हीरानगर , जिला - कठुआ
जम्मू व कश्मीर [१८४१४४]
दूरभाष - ०९८५८२४७३२९






प्रस्तुति :-
कमल जीत चौधरी
काली बड़ी , साम्बा [१८४१२१]
दूरभाष - ०९४१९२७४४०३
ई मेल - kamal.j.choudhary@gmail.com





(सभी चित्र गूगल की मदद से विभिन्न साइट्स से साभार लिए गए हैं)

1 comment:

  1. अच्छी कविताओं का चयन किया है भाई।
    आपको और कवि को बधाई

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