Thursday, January 8, 2015

डा. राजकुमार


डा. राजकुमार जम्मू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त प्रोफैसर एवं पूर्व अध्यक्ष हैं। देश विदेश  में संगोठियों में शोध पत्र पढ़ते रहे हैं। मौजूदा समय में जम्मू विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त बीएड कालेज के प्रिंसिपल हैं। डा. राजकुमार की सात समीक्षा पुस्तकें इनके विस्तृत अध्ययन और गहन चिंतन का परिचय देती हैं। कविता और कहानी के साथ साथ मिथकीय लेखन में विशेष रूचि है। डा. राजकुमार को कहानी और समीक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार और केंद्र से पुरस्कार मिल चुके हैं और इनकी कविता और कहानी पर शोध कार्य हो चुके हैं। 

डा. राजकुमार की प्रकाशित पुस्तकें हैंः

कविता संग्रहः इस भूमंडल पर, सांप मेरे साथी हैं, इक्कीसवीं शताब्दी के नाम, खून का रंग तो है
कहानी संग्रहः खुले हाथ, जाल, वेटिंग रूम, अमलतास के फूल
समीक्षाः मिथक और आधुनिक कविता, नयी कविता में मिथक, कविता एक संदर्भ और परख, कविता में सांस्कृतिक चेतना, शिवालिक क्षेत्र में हिंदी कविता का उद्भव और विकास, जम्मू कश्मीर  का स्वातंोत्तर हिंदी साहित्यः एक विवेचन, कविताः स्वभाव और समीक्षा 

शुभकामनाओं सहित उनका हार्दिक आभार कि उन्होंने ये कविताएँ उपलब्ध करवाई

(प्रस्तुत कविताएं हाल ही  में विमोचित उनके कविता संग्रह 'खून का रंग तो है' से ली गई हैं)





लोहा लोहा होता तो

पक्का होता तो 
गीली हवा से न डरता
लोहा
लोहा होता तो

जंग से न मरता


भोर अरुणाई

सूरज से
भोर
अरुणाई

पवित्रता
रात की

सूरज से
शरमाई!



कोमल क्या बचा है

पड़ी रहने दो
आंखों पर पट्टी

हटा कर
क्या पाओगी

कोमल क्या बचा है

किसे पत्थर बनाओगी



भारत में नेता

दांव लगे
देता धत्ता
दांव पड़े
हथियाए  सत्ता

बुरे वक्त में
गोल्ला
बेग़म का
दांव पड़े तो
हुक्म का पत्ता

ढंकी
आंख ले
बैल सरीखा
एक लीक पर
नहीं घूमता 
भारत में नेता


बेकारी

बच्चे की उंगलियां

रेत पर
बना रहीं
गोल  गोल रोटियां

बेकार पिता
अपाहिज हुआ सा
देख रहा

बच्चा
रेत पर बिसूरता!


भोपाल

बरसों पहले
लीक हुआ
भोपाल

बरसों बीते
न टांक सकी
कोई चौपाल


क्यों लिखूं कविता

क्यों लिखूं कविता
जब
थूथन पर लगा हो
लहू आदमी का
जब वीरांगना-सी लड़ रही बलात्कृता
कोख में ले
बीज़ दुष्ट का
जब चाॅक पर कलेजा काली का
मंच पर गोरी
चमक रही
चिट्टी ट्यूब लाईट-सी
पर नीग्रो खंबे पर टंगा
और रात बेवा रो रही

कुछ भी तो सही नहीं
क्यों लिखूं कविता
क्या करूं कविता का
जो मूल से उखड़ रही!


संपर्क
128-लाजपत नगर, गली नंबर 1
कनाल रोड, जम्मू 
मोबाइल : 0-94-192-53-44-7


(सभी चित्र गूगल की मदद से विभिन्न साइट्स से साभार लिए गए हैं)



2 comments:

  1. गागर में सागर !! राजकुमार जी मेरे गुरु हैं ... उनका खुलते किवाड़ पर हार्दिक स्वागत !!... ज्यादातर वरिष्ठ कवि लेखक पत्र - पत्रिकाओं में तो खूब प्रकाशित होते हैं पर अभी भी फेस बुक और चिट्ठा जगत से दूर हैं ...एकदम नया पैदा हुआ पाठक वर्ग इन्हें जान नहीं पाता ...ऐसी पोस्टें प्राथमिकता में रहे ...धन्यवाद !!
    - कमल जीत चौधरी

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