Saturday, April 13, 2013

पद्मदेव सिंह 'निर्दोष'






'बल्ले बल्ले बग हां चिनां देया पानियां, अज घर छुट्टी औनां साड़े दिल जानियां' (चिनाब के पानी जरा धीरे धीरे से बहो, आज मेरा प्रियतम छुट्टी पर घर आ रहा है )। दरिया चिनाब के साथ बात करने वाले डोगरी साहित्यकार पद्मदेव सिंह 'निर्दोष' का जन्म 13 अप्रैल सन 1940 को अखनूर के पास कलीठ में हुआ। शायरी का शौक बचपन में ही पिता से श्री रामचरितमानस की चौपाइयां सुन कर हुआ।



'निर्दोष' का जन्म भले ही रजवाड़ों के परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने फकीरों जैसा जीवन व्यतीत किया। वह सारी उम्र हाशिए पर खड़े व्यक्ति के साथ रहे। बेबस लोगों का शोषण उनसे देखा नहीं जाता था। उनकी मेहनत बेकार जाए, यह उनको बिलकुल भी पसंद नहीं था। मेहनतकश और किसान का दर्द उनी रचनाओं में भी दिखा। उनकी रचना की पंक्तियां 'तेरे राजा च नैहर पेदा कृष्‍ण मुरारी, जमींदार ऐ पुख्‍खा मरदा, कुकड़ खा पटवारी, कुकड़ खा पटवारी ओ भी बुड़की बुड़की' (हे कृष्‍ण मुरारी आप के राज में अंधेर है, किसान तो भूखा मर रहा है लेकिन अकड़ दिखाता हुआ पटवारी मुर्गा खा रहा है ) इसका सबूत है। डोगरी गजलों के बादशाह वेदपाल दीप और गीतों के राजकुमार यश शर्मा के साथ इनकी खास दोस्ती थी। 'निर्दोष' की रचनाओं पर आधारित कृति 'खलार सौंचं दा' है जिसमें कुछ गीत, कविताएं और 28 गजलें संकलित हैं। 'निर्दोष' का निधन सात सितंबर 1994 को हुआ था। डुग्गर के यही एकमात्र ऐसे साहित्यकार हैं जिनके नाम पर किसी चौक का नाम रखा गया है और प्रतिमा भी लगाई गई है। यह चौक अखूनर में स्थित है।

2 comments:

  1. Sarvprathm Nirdosh jee ko bhaavbheenee shraddhanjli. Nirdosh, Vedpaul Deep jaise rachnakaar Dogri bhasha mein janpksh ki
    baat krte hain. Satta ke talve nahi chaatate.
    Inke utaradhikariyon ko dekh or dukh hota
    hai.Dogri purskaaron aur anudaanon ki bhasha bantee Ja rhee hai ...khair.Kumar jee aapka abhaar.

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  2. kumar ji...agar sambhav ho to nirdosh ji ke kuch kavitaie upload kre taki hum unke bare mein our jaan skeien...shukriya

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